इस कहानी के पिछले 10 भाग प्रकाशित हो चुका है अब तक आपने पढ़ा प्रेम और दिव्या अपने जान पर खेलक... इस कहानी के पिछले 10 भाग प्रकाशित हो चुका है अब तक आपने पढ़ा प्रेम और दिव...
पता है कहते है कि जीवन हमारे कर्मों का फल है पता है कहते है कि जीवन हमारे कर्मों का फल है
सुगंधा आँखे बंद व मंत्रो का उच्चारण शुरू हो गया। सुगंधा आँखे बंद व मंत्रो का उच्चारण शुरू हो गया।
अपनी आँखों से देखो मन चाहता है हे पिता। अपनी आँखों से देखो मन चाहता है हे पिता।
इसलिए वह आत्मा अब उस रहस्यमई लाइब्रेरी को छोड़कर चली गई और अब वह आत्मा वहां नहीं रहती इसलिए वह आत्मा अब उस रहस्यमई लाइब्रेरी को छोड़कर चली गई और अब वह आत्मा वहां नहीं...
उस निर्मल सन्नाटे को चीरती हुई एक मधम सी आवाज़ आई - मोटी, साली, कुतिया। उस निर्मल सन्नाटे को चीरती हुई एक मधम सी आवाज़ आई - मोटी, साली, कुतिया।